मेष लग्न से सम्बंधित व्यक्ति का स्वभाव व उसके कुछ महत्वपूर्ण गुण
इस लग्न के व्यक्ति की प्रायः लम्बी व दुर्बल गर्दन होती है, बाल घुंघराले व कड़े होते है आँखें गोल होती है I
कड़ा व झगड़ालू स्वभाव, घमंडी, साहसी व वीर सतत रूप से किसी न किसी कार्य में लगा रहने वाला मेधावी व्यक्ति होता है यह I
बाल्यकाल में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है I
यह सद्गुणों से युक्त, यात्रा प्रिय व कम भोजन करने वाला होता है उच्च पद की अभिलाषा इसके अन्तर में रहती है I
कन्या के लिए विशिष्ट फल
सत्य बोलने वाली, साफसुथरा रहना, कठोर चित्त, बदला लेने में अग्रणी, अत्यन्त क्रोधी व कठोर शब्दों का प्रयोग करने वाली हो किन्तु अपने स्वजनों से प्रेम करने वाली भी होती
इस लग्न के व्यक्ति की प्रायः लम्बी व दुर्बल गर्दन होती है, बाल घुंघराले व कड़े होते है आँखें गोल होती है I
कड़ा व झगड़ालू स्वभाव, घमंडी, साहसी व वीर सतत रूप से किसी न किसी कार्य में लगा रहने वाला मेधावी व्यक्ति होता है यह I
बाल्यकाल में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है I
यह सद्गुणों से युक्त, यात्रा प्रिय व कम भोजन करने वाला होता है उच्च पद की अभिलाषा इसके अन्तर में रहती है I
कन्या के लिए विशिष्ट फल
सत्य बोलने वाली, साफसुथरा रहना, कठोर चित्त, बदला लेने में अग्रणी, अत्यन्त क्रोधी व कठोर शब्दों का प्रयोग करने वाली हो किन्तु अपने स्वजनों से प्रेम करने वाली भी होती
है I
मेष लग्न में जन्मे व्यक्ति का सूर्य बहुत शुभ व सुखकारी होता है उसके बाद बृहस्पति है I
याद रहे इस लग्न के लिए गुरु व शनि का सम्बन्ध होने पर भी राज योग नहीं होता ऐसा पराशर के मत से है क्योंकि शनि दशमेश के साथ एकादशेश भी है अर्थात इन दोनों का किसी स्थान में एकत्र होना प्रायः अनिष्टकर ही माना गया है I
गुरु का दशम भाव में होना भी इस लग्न के व्यक्ति के लिए शुभ नहीं होता क्योंकि गुरु दशम स्थान में नीच का होता है यदि इसका नीच भंग हो जाता है तभी यह सुखदायी हो सकता है I
मेष लग्न वालों के लिए
शनि, बुध व शुक्र पाप प्रभाव को रखते है I
शनि बुध तो मारकेश ही है I
चंद्र-गुरु; मंगल-सूर्य तथा सूर्य-शुक्र का यदि सम्बन्ध हो और किसी दूसरे ग्रह का सम्बन्ध न बनें तो राज योग होता है I
मेष लग्न वाले के लिए मंगल अष्टमेश होने पर भी अनिष्टकारी नहीं होता I
मेष लग्न यदि प्रथम नवांश में हो तो यह व्यक्ति के प्राकृतिक स्वाभाव को विशेष रूप से प्रकट करता है I
नोट - ऐसे जातक को अपनी नींद का पूरा ध्यान रखना अपने शरीर व मस्तिष्क को रिलैक्स देना बहुत जरुरी होता है.
अपने मस्तिष्क की रक्षा ऐसे व्यक्ति को हर प्रकार से करना चाहिए.
मेष लग्न में जन्मे व्यक्ति का सूर्य बहुत शुभ व सुखकारी होता है उसके बाद बृहस्पति है I
याद रहे इस लग्न के लिए गुरु व शनि का सम्बन्ध होने पर भी राज योग नहीं होता ऐसा पराशर के मत से है क्योंकि शनि दशमेश के साथ एकादशेश भी है अर्थात इन दोनों का किसी स्थान में एकत्र होना प्रायः अनिष्टकर ही माना गया है I
गुरु का दशम भाव में होना भी इस लग्न के व्यक्ति के लिए शुभ नहीं होता क्योंकि गुरु दशम स्थान में नीच का होता है यदि इसका नीच भंग हो जाता है तभी यह सुखदायी हो सकता है I
मेष लग्न वालों के लिए
शनि, बुध व शुक्र पाप प्रभाव को रखते है I
शनि बुध तो मारकेश ही है I
चंद्र-गुरु; मंगल-सूर्य तथा सूर्य-शुक्र का यदि सम्बन्ध हो और किसी दूसरे ग्रह का सम्बन्ध न बनें तो राज योग होता है I
मेष लग्न वाले के लिए मंगल अष्टमेश होने पर भी अनिष्टकारी नहीं होता I
मेष लग्न यदि प्रथम नवांश में हो तो यह व्यक्ति के प्राकृतिक स्वाभाव को विशेष रूप से प्रकट करता है I
नोट - ऐसे जातक को अपनी नींद का पूरा ध्यान रखना अपने शरीर व मस्तिष्क को रिलैक्स देना बहुत जरुरी होता है.
अपने मस्तिष्क की रक्षा ऐसे व्यक्ति को हर प्रकार से करना चाहिए.