यदि जन्मांग चक्र में सप्तम भाव या सप्तमेश पर सूर्य केतु या बृहस्पति का प्रभाव युति या दृष्टि द्वारा किसी प्रकार भी हो तो व्यक्ति का जीवन
साथी आध्यात्मिक प्रकृति को रखने वाला होता है
इसके अतिरिक्त यदि कुंडली में केवल शनि और बृहस्पति की भी युति होती हो तब भी जीवन साथी धर्मनिष्ठ तथा शुभ व उच्च कर्म करने वाला होता है.
सार रूप में इस योग में जीवन साथी (पति या पत्नी) की मूल अन्तर्निहित प्रकृति धर्मिक होती है जिसकी तीव्रता कुंडली के अन्य योगायोग व बाहरी प्रभावों के अधीन रहती हैI