Monday, September 16, 2024

जीवन साथी के गुण- दोष विचार हेतु कुछ महत्वपूर्ण बिंदु

नीचे दिए हुए कुछ बिन्दुओं को ध्यान में रखकर यदि स्त्री (लाइफ पार्टनर) के गुण दोषादि को विचारा जाये तो विवाह सम्बन्धी फल कहने में बहुत सहूलियत होगी I

1. इसके लिए लग्न व चंद्र लग्न से सप्तम स्थान और उन दोनों सप्तमेश व शुक्र की स्थिति पर गंभीरता से विचार करना होगा कि इन पर पाप प्रभाव है या फिर शुभ प्रभाव ---
जैसे कि
A. सप्तम स्थान और इनके स्वामी पाप ग्रहों के बीच तो नहीं है I
B. यह सभी या इनमे से कोई पापी ग्रहों से युत या दृष्ट है या फिर गुरु शुक्र आदि शुभ ग्रहों से I

इस सम्बन्ध में कुछ विशिष्ट नियम इस प्रकार है --
2. यदि शुक्र चर राशि में हो, बृहस्पति सप्तमस्थ हो और लग्नेश मजबूत हो तो उस व्यक्ति का पार्टनर समर्पण भाव से युक्त सुन्दर व प्रेम करने वाला होता है I

3. सप्तमेश  गुरु के साथ हो या दृष्ट हो या
शुक्र व बृहस्पति एक साथ बैठे हो या शुक्र पर गुरु की दृष्टि पड़ती हो तो स्त्री सर्वगुण सम्पन्न होती है और अपने पति के प्रति सपर्पित होकर उसके दुःख सुख का ध्यान रखती है I

4. सप्तमेश गुरु हो उस पर बुध व शुक्र की दृष्टि हो
या
गुरु सप्तमस्थ हो और पाप प्रभाव से मुक्त हो

5. यदि सप्तमेश केंद्र या त्रिकोण में वैठा हो और उसके साथ शुभ ग्रह या उसका दृष्टि प्रभाव भी हो
या
केन्द्रवर्ती सप्तमेश शुभ राशि ( बुध,शुक्र, चंद्र या गुरु की राशि) या शुभ नवांश में हो तो पार्टनर समर्पण भाव से युक्त होता है I 

6. सप्तमेश यदि शुभ ग्रह (चन्द्रमा, बुध, गुरु या शुक्र) साथ हों या उनका शुभ प्रभाव हो तो जीवनसाथी स्वभाव से विनम्र और शीलवान होगा तथा धनवान और प्रतिष्ठित पद वाला भी हो सकता है।
7. यदि लग्नेश सप्तम भाव में हो या सप्तमेश पंचम भाव में हो तो जातक अपने जीवनसाथी के अनुसार चलने वाला होता है। उसका अनुयायी होता है और यदि सप्तमेश लग्न में हो तो पार्टनर जातक का अनुयायी होता है I 

8. लग्न में राहु केतु के होने से पार्टनर जातक के वशीभूत होकर रहता है I

9. शुक्र उच्च, स्व या शुभ नवांश में हो और सप्तमेश गुरु से दृष्ट या युत हो तो स्त्री पतिव्रता व प्रेम करने वाली होती है I 

10. यदि सप्तम भाव का स्वामी सूर्य, मंगल या शनि हो  और वह  पाप दृष्ट या युत भी हो पाप् नवांश में हो
या वह नीच शत्रुग्रही अस्त या शत्रु द्रेष्काण का हो तो उसकी स्त्री टेड़े स्वाभाव व कठोर चित्त की होती है ऐसी स्त्री कुलटा या कुचरित्र को रखने वाली भी हो सकती है I

किन्तु यदि ये पापी सप्तमेश भी मित्र गृही, उच्च, शुभ ग्रह के साथ हो या द्रष्ट हो, मित्र नवांश में चले जाएँ तो यद्यपि स्त्री या लाइफ पार्टनर निर्दयी कठोर होगा लेकिन अपने पार्टनर को प्रेम करने वाला उसके सुख दुःख में साथ खड़ा रहने वाला होगा I

11. इसी प्रकार चन्द्र, बुध या शुक्र यदि सप्तमेश हो और 6, 8 या 12 भाव में चले जाएँ, पाप ग्रहों से घिरे हो किसी प्रकार भी शत्रु व क्रुर प्रभाव को रखें
नीच के हो, अस्त हो, शत्रु राशि या नवांश में हो या
शत्रु द्रेष्काण में हो तो जातक की स्त्री ( पार्टनर) कुसंगति में पड़कर अनैतिक कार्य को करने वाली होती है, यह कुमार्गी अर्थात विश्वास के योग्य नहीं होती ऐसी स्त्री कुसंग या भावावेश में अपने पार्टनर के जीबन पर भी संकट ला सकती है I

12. यदि राहु या केतु सप्तमस्थ हो और उसके साथ पाप ग्रह भी हो या उस पर पापी ग्रहों की दृष्टि पड़ती हो तो पार्टनर संकीर्ण व ओछे बिचारों का होता है और यदि ये राहु- केतु  मंगल, शनि या सूर्य के नवांश में हो  तो ऐसी स्त्री अपने स्वामी को बहुत परेशान करती है और हर तरह से उसे परेशानी में डालती है और खुद को भी बदनाम करती है।

Friday, September 13, 2024

विवाह या स्त्री द्वारा धन की प्राप्ति का योग

वैदिक ज्योतिष में सप्तम स्थान को जाया स्थान कहा गया है और शुक्र स्त्री कारक होता है I
अतः यदि इनका सम्बन्ध धन स्थान, लाभ स्थान या भाग्य स्थान के साथ बताये गए किसी भी चतुर्विध सम्बन्ध के द्वारा हो तो वह व्यक्ति स्त्री के द्वारा धन की प्राप्ति करता है या फिर धन समृद्धि का योग उसके लिए विवाहोपरांत बनता है I
यदि सप्तम का चतुर्थ भाव के साथ कोई सम्बन्ध है तो व्यक्ति विवाह उपरांत चल अचल संपत्ति, गाड़ी फ्लैट सब प्राप्त कर लेने में सफल हो जाता है I
यदि सम्बन्ध बनाने वाले भाव ग्रह बली अवस्था में भी हो तो इस सम्बन्ध में निश्चित ही भव्य व उत्कृष्ट सफलता की सूचना मिलती है I
जैसे -- ये शुभ ग्रहों से दृष्ट या युत हो शुभ कर्तरी योग में हो नवमांश आदि वर्गों में शुभ स्थिति हो I

किन्तु यदि शुक्र, सप्तमेश, लग्नेश तथा द्वितीयेश या भाग्येश दु:स्थानगत हो, नीच या शत्रु राशि में हो, अस्त या पाप दृष्ट हो तो व्यक्ति की संपत्ति विवाह उपरांत नष्ट हो सकती है, व्यक्ति भयंकर परेशानियों में पड़ सकता है I

यदि शुक्र और सप्तमेश क्रूर षष्टयांश में हो किन्तु उन पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो ऐसे व्यक्ति की संपत्ति विवाह उपरांत नष्ट हो सकती है लेकिन कुछ दिनों के बाद वह उसको पुनः प्राप्त करने में सफल हो जाता है I
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BOTH SATURN AND MARS ARE MALEFIC PLANETS, BUT THEIR FINAL OUTCOMES ARE VERY DIFFERENT

Saturn and Mars are both considered malefic planets, but there is an important difference in their nature. Saturn is known as a very cruel...