अतः यदि इनका सम्बन्ध धन स्थान, लाभ स्थान या भाग्य स्थान के साथ बताये गए किसी भी चतुर्विध सम्बन्ध के द्वारा हो तो वह व्यक्ति स्त्री के द्वारा धन की प्राप्ति करता है या फिर धन समृद्धि का योग उसके लिए विवाहोपरांत बनता है I
यदि सप्तम का चतुर्थ भाव के साथ कोई सम्बन्ध है तो व्यक्ति विवाह उपरांत चल अचल संपत्ति, गाड़ी फ्लैट सब प्राप्त कर लेने में सफल हो जाता है I
यदि सम्बन्ध बनाने वाले भाव व ग्रह बली अवस्था में भी हो तो इस सम्बन्ध में निश्चित ही भव्य व उत्कृष्ट सफलता की सूचना मिलती है I
जैसे -- ये शुभ ग्रहों से दृष्ट या युत हो शुभ कर्तरी योग में हो नवमांश आदि वर्गों में शुभ स्थिति हो I
किन्तु यदि शुक्र, सप्तमेश, लग्नेश तथा द्वितीयेश या भाग्येश दु:स्थानगत हो, नीच या शत्रु राशि में हो, अस्त या पाप दृष्ट हो तो व्यक्ति की संपत्ति विवाह उपरांत नष्ट हो सकती है, व्यक्ति भयंकर परेशानियों में पड़ सकता है I
यदि शुक्र और सप्तमेश क्रूर षष्टयांश में हो किन्तु उन पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो ऐसे व्यक्ति की संपत्ति विवाह उपरांत नष्ट हो सकती है लेकिन कुछ दिनों के बाद वह उसको पुनः प्राप्त करने में सफल हो जाता है I
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