Wednesday, May 31, 2023

धनु लग्न में जन्म लेने वाले लोगो की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएं --

दोस्तों,
यदि जन्म पत्रिका में  लग्न वाले खाने में अंक 9 स्थित है तो ऐसे जातक का जन्म धनु लग्न में होता है I
इस लग्न में जन्मे लोगों के लिए हम कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को यहाँ साझा कर रहे है जिनको अध्ययन के आधार पर सामान्यतः सत्य होते हुए ही पाया गया है हालाँकि इन वर्णित तथ्यों की तीव्रता को कुंडली के महत्वपूर्ण योगायोग बहुत हद तक प्रभावित कर सकते हैI

धनु लग्न
इस लग्न में जन्मे व्यक्ति बहुत ही नीतिवान, धर्मनिष्ठ व सर्वमान्य होते है तथा सभी कार्यों में प्रवीण, देव पूजा व ब्राह्मणों के सम्मान में अनुरक्त रहा करते है, बहुमूल्य वाहन व भवन आदि का उत्तम सुख इन्हें प्राप्त होता हैl

विविध प्रकार के उपायों से, लम्बे समय तक कई बड़े बड़े राजसी मालिकों के यहाँ नौकरी करके उनके सलाहकार बनते है तथा अपने जन्म स्थान से दूर रहकर धन संग्रह करने में व्यस्त रहते हैI

बड़ी यश-कीर्ति को रखने वालों के साथ पैठ होती है सार रूप में ऐसा व्यक्ति सभी विभागों के लोगो के साथ मैत्री सम्बन्ध रखने के कारण सर्वमान्य एवं अत्यंत सुख का भोग करने वाला भाग्यवान पुरुष होता है l

व्यक्ति तरल पदार्थों के माध्यम से बड़ी धन राशि को जमा करता है व सुख पाता है, महंगे वहुमूल्य वस्त्र व गहनों का भी आनंद उसे प्राप्त होता हैI

ऐसा व्यक्ति मित्रो व पुत्रों के साथ एक मत होकर पूर्व जन्म के पुण्य से अनेक प्रकार के सुखों को भोगता है फिर भी कुछ बुरे कर्म व मानसिक चिंताओं से उसका मन  व्याकुल रहता है l
इस लग्न के व्यक्ति को परस्त्री संग से बचना चाहिए यह उसके लिए बड़ी परेशानी का कारण बन सकता हैI

हालाँकि ऐसा व्यक्ति सुशील एवं सुसंस्कृत स्त्री को रखने वाला, अच्छे व्यवहार का, सूंदर सर्वगुण संपन्न व विनम्र होता हैI

इस योग में जातक को पानी से बचकर रहना चाहिए, इसकी मृत्यु किसी भयानक कीडे से या परदेश में रहते हुए पराये हाथ से होने की सम्भावना रहती है I

ऐसे व्यक्ति को चाहिए कि अपने धर्म पर विश्वास करे सतर्क रहे तथा अपने आप को नास्तिकता से दूर रखेI

इस लग्न के व्यक्ति को दानादि करने व स्वम् की बुद्धि बिगड़ने से बड़ी धनराशि का नुकसान उठाना पड़ सकता है ऐसे में व्यक्ति को ख़राब मित्रो से दूर रहना चाहिए व चोरीआदि के प्रति भी सावधान रहना चाहिए l

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Tuesday, May 30, 2023

ज्योतिष में कर्तरी योग की संरचना एवं इसका महत्व --

दोस्तों,
भारतीय ज्योतिष में कर्तरी योग बहुत ही महत्वपूर्ण योगों में से एक माना गया है, यह शुभ कर्तरी व पाप् कर्तरी दो प्रकार का होता है तथा जिस किसी भी भाव या ग्रह से यह सम्बंधित होता है उस भाव व ग्रह से जुड़ी चीजों में शुभता व अशुभता को जोड़ने वाला वन जाता है I

शुभ कर्तरी योग
कुंडली के किसी भी भाव या ग्रह से दूसरे और 12वें भाव में जब शुभ ग्रह अर्थात चन्द्र, बुध, गुरु व शुक्र  मौजूद होते हैं तब शुभ कर्तरी योग की संरचना होती हैI
यह योग जिस भाव और ग्रह से संबंधित होता है, उस भाव व ग्रह से जुडी शुभ बातों में वृद्धि करने का कार्य करता हैI

पाप कर्तरी योग
इसके विपरीत पाप कर्तरी योग तब बनता है जब किसी भी भाव या ग्रह से दूसरे और 12वें भाव में अशुभ ग्रह सूर्य, मंगल, शनि, या राहु केतु स्थित होते है।
जो भाव या ग्रह इस योग से प्रभावित होता है उनसे सम्बंधित चीजों में नकारात्मकता उत्पन्न करता है या कह सकते है की उनके शुभ प्रभाव में कमी करके अशुभ व ख़राब बातों में वृद्धि करने का कार्य करता हैI
 
आज हम बात करते है कुंडली के प्रथम भाव अर्थात लग्न से बनने वाले शुभ व पाप कर्तरी योग की I
 प्रथम भाव यानी लग्न से प्रथम व द्वादश भाव में जब बुध, गुरु, शुक्र या चन्द्र में से कोई भी स्थित हो तो इन ग्रहों की शुभ प्रकृति के कारण यह लग्न से बनने वाला शुभ कर्तरी योग होगा ऐसे में लग्न अनुकूल रूप से प्रभावित होगी तथा जो भी बाते इस भाव से विचारी जाती है उनकी शुभता में वृद्धि हो जायेगी अर्थात यह संरचना जातक को उत्तम स्वास्थ्य व दीर्घायु प्रदान करने वाली होगी तथा सभी भौतिक सुख साधनों का स्थायी भोग भी करवाएगी I
वास्तव में दोस्तों, यह योग व्यक्ति को जीवन में शत्रुओं से हीन करता है, धन यश व प्रसिद्धि दिलाने वाला माना जाता है I

किन्तु इसके विपरीत यदि लग्न से दूसरे और 12वें भाव में सूर्य, मंगल, शनि, या राहू केतु जैसे क्रूर व पापी ग्रह स्थित हो जाएँ तो ऐसे में लग्न से पाप कर्तरी योग का निर्माण होगा जिससे लग्न पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और बताये हुए लग्न संबंधी शुभ फलों में बहुत कमी हो जायेगी अर्थात आयु व रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी होगी सांसारिक सुखोपभोग भी बाधित होंगे I

किन्तु स्मरण रहे कि यह योग तभी बनता है जब किसी भाव या ग्रह के दोनों ओर या तो शुभ ग्रह व्यवस्थित हो जाएँ या फिर अशुभ ग्रह, किन्तु यदि किसी भाव के एक ओर शुभ ग्रह स्थित हो और दूसरी ओर अशुभ तो ऐसे में इस योग की संरचना नहीं होतीI


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Monday, May 29, 2023

कुंडली में दसवें भाव का महत्व

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ज्योतिष का एक गूढ़ रहस्य है की जब कुंडली में  लग्न, चन्द्र लग्न एवं सूर्य लग्न से दशम स्थान में कोई ग्रह विराजमान हो, विशेषकर इन तीन में से यदि दो से भी ऐसी स्थति बनती है तो व्यक्ति अपने कुल परिवार में अवश्य ही कुछ विशिष्ट उन्नति करने वाला होता है हालाँकि इस उन्नति का परिमाण बहुत कुछ उस ग्रह की  मजवूत या कमजोर स्थिति पर निर्भर करता हैI
 मान लिया जाय यदि कोई ग्रह कुंडली में लग्न से दशमस्थ है और उच्च का भी है तो ऐसा व्यक्ति अचानक से ऐसी उन्नति करता है जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की होती I

यहाँ तक कि यदि दशमस्थ ग्रह नीच राशिगत भी हो तब भी व्यक्ति अपने परिवार की तुलना में कुछ विशेष उन्नति अवश्य ही करता है किन्तु उसकी इस उन्नति में स्थिरता नहीं होती अर्थात उसकी उन्नति का मार्ग कुछ डगमगाहट लिए हुए हो सकता हैI

BOTH SATURN AND MARS ARE MALEFIC PLANETS, BUT THEIR FINAL OUTCOMES ARE VERY DIFFERENT

Saturn and Mars are both considered malefic planets, but there is an important difference in their nature. Saturn is known as a very cruel...