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ज्योतिष का एक गूढ़ रहस्य है की जब कुंडली में लग्न, चन्द्र लग्न एवं सूर्य लग्न से दशम स्थान में कोई ग्रह विराजमान हो, विशेषकर इन तीन में से यदि दो से भी ऐसी स्थति बनती है तो व्यक्ति अपने कुल परिवार में अवश्य ही कुछ विशिष्ट उन्नति करने वाला होता है हालाँकि इस उन्नति का परिमाण बहुत कुछ उस ग्रह की मजवूत या कमजोर स्थिति पर निर्भर करता हैI
मान लिया जाय यदि कोई ग्रह कुंडली में लग्न से दशमस्थ है और उच्च का भी है तो ऐसा व्यक्ति अचानक से ऐसी उन्नति करता है जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की होती I
यहाँ तक कि यदि दशमस्थ ग्रह नीच राशिगत भी हो तब भी व्यक्ति अपने परिवार की तुलना में कुछ विशेष उन्नति अवश्य ही करता है किन्तु उसकी इस उन्नति में स्थिरता नहीं होती अर्थात उसकी उन्नति का मार्ग कुछ डगमगाहट लिए हुए हो सकता हैI
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